फ़रहत शहज़ाद
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- एक बस तू ही नहीं मुझ से ख़फ़ा हो बैठा / फ़रहत शहज़ाद
- अगर बदन एक मकान है / फ़रहत शहज़ाद
- खा कर ज़ख़्म दुआ दि हम ने / फ़रहत शहज़ाद
- ख़ुली जो आँख तो वो था न वो ज़माना था / फ़रहत शहज़ाद
- ख़्वाबों में तेरे गर मेरी ख़्वाहिश नहीं होगी / फ़रहत शहज़ाद
- क्या ख़बर थी के मैं इस दर्जा बदल जाऊँगा / फ़रहत शहज़ाद
- बहुत बुरा है मगर फिर भी तुमसे अच्छा है / फ़रहत शहज़ाद
- मुझे ख़बर थी वो मेरा नहीं पराया था / फ़रहत शहज़ाद
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