Last modified on 2 मई 2010, at 12:15

भीड़ / महेश सन्तुष्ट

सम्यक (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:15, 2 मई 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आदमी ने
अकेलेपन में
आत्महत्या से बड़ा
कोई अपराध नहीं किया

और
भीड़ ने
विश्व युद्ध से भी ज्यादा
लोगों को कुचला है।