Last modified on 2 मई 2010, at 13:12

माँ / नवीन सागर

Pradeep Jilwane (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:12, 2 मई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: वह दरवाजे पर है उस पार से बहुत बड़ी दुनिया पार कर के दस्‍तक जब दरवा…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

वह दरवाजे पर है उस पार से बहुत बड़ी दुनिया पार कर के दस्‍तक जब दरवाजे पर होगी तब के लिए वह रात भर दरवाजे पर है.

वह एक भूली हुई चीज है.

भगवान के अपने लिए मौत मेरे लिए सब कुछ मॉंगती काम करती अपना अकेली घर में जब तक है घर में दिये का उजाला है.

आज मुझे उसकी याद आ रही है अभी.

मुझे अभी उसे भूल जाना है दरवाजा बंद होते ही बाहर रह जाएगी वह और दस्‍तक नहीं देगी.