Last modified on 14 मई 2010, at 23:00

यों ही / सू शि

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:00, 14 मई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=गून ल्यू |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} Category:चीनी भाषा <Poem> प…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: गून ल्यू  » यों ही

पाले से
मेरे केश
झूलते हवा में
छोटे से बरामदे में
बीमार-सा लेटा
बेंत की चारपाई पर

वैद्य ने इस वसन्त
बताई है मुझे दिव्य नींद

संभल कर बजाता
ताओ भिक्षु
पांचवे पहर का गजर।


मूल चीनी भाषा से अनुवाद : त्रिनेत्र जोशी