फिर फिर कोई निराशा पनप रही है मेरे भीतर फिर कोई धुआं भर रहा है मेरे सीने में फिर कोई धूल मेरी आंखें दुखा रही है फिर कोई हताशा मुझको रुला रही है चमको-चमको खूब तेज चमको मेरी प्रेरणा के सितारो मुझको इस निराशा से उबारो 1989