Last modified on 14 जून 2010, at 03:33

प्यार / परवीन शाकिर

अब्र-ए-बहार ने
फूल का चेहरा
अपने बनफ़्शी हाथ में लेकर
ऐसे चूमा
फूल के सारे दुख
ख़ुश्बू बन कर बह निकले हैं