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विद्यालय / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’

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बच्चों का ये है विद्यालय ।
विद्याओं का ये है आलय ।।
 
कितना सुन्दर सजा चमन है ।
रंग-बिरंगे यहाँ सुमन हैं ।।
 
कोरे काग़ज़ जैसे मन है ।
चहक रहा कानन-उपवन है ।।
 
हर बालक अमृत की गागर ।
भरा हुआ गागर में सागर ।।
 
रूप भिन्न हैं, वेश एक है ।
पन्थ भिन्न, परिवेश एक है ।।
 
विद्या जीवन का आधार ।
पढ़ना बालक का अधिकार ।।
 
श्रम से मंज़िल मिल जाती है ।
शिक्षा तप से ही आती है ।।
 
सामाजिकता को अपनाना है ।
प्रतिदिन विद्यालय जाना है ।।