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तुम्हारा आना / सुशीला पुरी

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जब तुम लौटोगे
तुम्हारा लौटना
लायेगा रंगों में और सुर्खी
और वैविध्य
इन्द्रधनुष की तरह

तुम्हारे लौटने से
कोहरे को चीरकर
धरती से
बाँह- भर भेंटेगी धूप

तुम्हारा लौटना
जीने की भूख बढ़ा देगा
तमाम तरलताओं से अकुंठ -
तुम्हारा आना
भर देगा स्वाद जीवन में

तुम्हारी पदचाप से
थम जायेगा
अनर्गल कोलाहल तन का
और चुप्पियों के बीच
जन्मेंगे अनंत गीत ।