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प्रार्थना / सांवर दइया

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आकाश के अनंत छोर तक पहुंच
बच्चों के लिए चुग्गा जुटा कर
सांझ समय वापिस पहुंच सकूं
अपने घोंसले में
वे पंख देना मुझे ।

युगों से अंधकार में गुम
सुखों को शोध सकूं
भावी पीढ़ियों के लिए
वह आंख देना मुझे

अन्यथा ओ ईश्वर !
कृपा के नाम पर
कृपया
कोई कृपा मत करना मुझ पर

अनुवाद : मोहन आलोक