आकाश के अनंत छोर तक पहुँच
बच्चों के लिए चुग्गा जुटा कर
सांझ समय वापिस पहुँच सकूँ
अपने घोंसले में
वे पंख देना मुझे ।
युगों से अंधकार में गुम
सुखों को शोध सकूँ
भावी पीढ़ियों के लिए
वह आँख देना मुझे
अन्यथा ओ ईश्वर !
कृपा के नाम पर
कृपया
कोई कृपा मत करना मुझ पर
अनुवाद : मोहन आलोक