Last modified on 13 मई 2007, at 00:36

तरूण से / त्रिलोचन

Tusharmj (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 00:36, 13 मई 2007 का अवतरण (New page: रचनाकार: त्रिलोचन शास्‍त्री तरूण, तुम्‍हारी शक्ति अतुल है जहॉं कर्म ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

रचनाकार: त्रिलोचन शास्‍त्री


तरूण,

तुम्‍हारी शक्ति अतुल है

जहॉं कर्म में वह बदली है

वहॉं राष्‍ट्र का नया रुप

सन्‍मुख आया है

वैयक्तिक भी कार्य तुम्‍हारा

सामूहिक है

और

जहॉं हो

वहीं तुम्‍हारी जीवनधारा

जड़ चेतन को

आप्‍यायित, आप्‍लावित करती है

कोई देश

तुम्‍हारी सॉंसों से जीवित है

और तुम्‍हारी ऑंखें से देखा करता है

और तुम्‍हारे चलने पर चलता रहता है


मनोरंजनों में है इतनी शक्ति तुम्‍हारे

जिससे कोइ राष्‍ट्र

बना बिगड़ा करता है

सदा सजग व्‍यवहार तुम्‍हारा हो

जिससे कल्‍याण फलित हो।