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रचनाकार: त्रिलोचन शास्त्री

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नदी ने कहा था : मुझे बाँधो

मनुष्‍य ने सुना और

तैरकर धारा को पार किया।

नदी ने कहा था : मुझे बाँधो

मनुष्‍य सुना और

सपरिवार धारा को

नाव से पार किया।

नदी ने कहा था : मुझे बाँधो

मनुष्‍य ने सुना और

आखिर उसे बाँध लिया

बाँध कर नदी को

मनुष्‍य दुह रहा है

अब वह कामधेनु है।