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गारंटी / अजित कुमार

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पानी जहाँ बहुत अधिक
गहरा नहीं होता,
कुछ कीड़े वहाँ
अपने ही शरीर के रसायन
-गोया कि चूने-गारे-
से रच लेते हैं अपना घर ।

वही उनका शिविर,
वही स्लीपिंग बैग,
वही सफ़री झोला
वही कवच,
वही पंख,
वही प्राण-रक्षा की गारंटी ।