दूर सुनसान- से साहिल के क़रीब इक जवाँ पेड़ के पास उम्र के दर्द लिए, वक़्त का मटियाला दुशाला ओढ़े बूढ़ा - सा पॉम का इक पेड़ खड़ा है कब से सैंकड़ों सालों की तन्हाई के बाद झुकके कहता है जवाँ पेड़ से: 'यार, सर्द सन्नाटा है तन्हाई है , कुछ बात करो'