दम्भी बादल
फेंक गया है काली छाया
नहीं दे गया
अपने जल की एक बूँद भी
चला गया है वहाँ बरसने
जहाँ शिलाओं की समाधि है।
रचनाकाल: १३-१०-१९६०
दम्भी बादल
फेंक गया है काली छाया
नहीं दे गया
अपने जल की एक बूँद भी
चला गया है वहाँ बरसने
जहाँ शिलाओं की समाधि है।
रचनाकाल: १३-१०-१९६०