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दम्भी बादल / केदारनाथ अग्रवाल

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दम्भी बादल
फेंक गया है काली छाया
नहीं दे गया
अपने जल की एक बूँद भी
चला गया है वहाँ बरसने
जहाँ शिलाओं की समाधि है।

रचनाकाल: १३-१०-१९६०