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 एक काव्य मोती
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क्षमा शोभती उस भुजंग को, जिसके पास गरल हो
उसको क्या जो दंतहीन, विषरहित, विनीत, सरल हो।
कविता कोश में रामधारी सिंह "दिनकर"