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सापेख/ कन्हैया लाल सेठिया

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टूटग्यो

साता तारां में स्यूं

एक तार,

सितार

बनग्यो बलीतो

खुट्ग्यो

पांच तत में स्यूं

एक तत,

सत

हुग्यो अलीतो !