Last modified on 21 नवम्बर 2010, at 03:43

ओळभो / सांवर दइया

Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:43, 21 नवम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: <poem>आभै रै आंगणै गरजतै-तरजतै लोरां रो हाको सुण जागी पीड़ दाब्यां प…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आभै रै आंगणै
गरजतै-तरजतै लोरां रो
हाको सुण जागी
पीड़ दाब्यां पसवाड़ो फोरियां सूती धरती

सूरमा रै सत्कार नै संभी
पण औ कांई
दो छांटां पछै
पून सागै बूहा गया लोर

दब्योड़ी तिरस जाग्यां पछै
भाभड़ाभूत हुयोड़ी धरती
दियो एक ई ओळभो-
सरधा नीं हुवै तो
बकारया ना आगै सारू !