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ओळभो / सांवर दइया
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					आभै रै आंगणै 
गरजतै-तरजतै लोरां रो
हाको सुण जागी 
पीड़ दाब्यां पसवाड़ो फोरियां सूती धरती
सूरमा रै सत्कार नै संभी
पण औ कांई
दो छांटां पछै
पून सागै बूहा गया लोर
दब्योड़ी तिरस जाग्यां पछै 
भाभड़ाभूत हुयोड़ी धरती 
दियो एक ई ओळभो-
सरधा नीं हुवै तो
बकारया ना आगै सारू !
 
	
	

