Last modified on 29 जून 2014, at 11:52

इंतजार / लक्ष्मीकान्त मुकुल

थका-हारा आदमी
जब भी कभी भारी टोकरी लादे
समीप आने लगता
उसे देखकर न जाने क्यों
घरघराने लगता है
बांस का पुल
मेरे गांव का।