Last modified on 6 नवम्बर 2008, at 19:14

उपाय / वेणु गोपाल

अंधेरे के खिलाफ़ होता हूँ मैं जब
मेरे पास एक ही उपाय होता है
तब
अचूक

और
वह

तुम हो।

तुम्हें मैं रोशनी की तरह इस्तेमाल कर लेता हूँ।

और
जब कभी
रोशनी की दुनिया
खिलाफ़ हो जाती है
मेरे

तो
मैं
तुरन्त
तुम्हारे जिस्म से
अपने जिस्म को
एकमेक करते हुए
एक
निजी अंधकार
रच लेता हूँ
आसपास ।

रचनाकाल : 23 मई 1975