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कजली / 66 / प्रेमघन

नटिनो की लय

तोरे पर गोरिया लुभानी रे साँवलिया॥टेक॥
गोल कपोलन पै लखि लांबी,
लट लोटत छितरानी रे साँवलिया॥
मोर मुकुट सिर चपलित लोचन,
की चितवन अलसानी रे साँवलिया॥
मिलिरस बरसु प्रेमघन तोपैं,
बिन हीं मोल बिकानी रे साँवलिया॥113॥