जाने क्या सोच के तेरे ख़त कल नदी में बहाये थे, ख़त तो कागज के थे गल गए बह गए मगर वो सारे हफर् जो उन पर तूने लिखे थे वो सब अब तक दरिया में तैर रहे हैं।