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वाबस्ता / पवन कुमार
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वाबस्ता
रचनाकार | पवन कुमार |
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प्रकाशक | प्रकाशन संस्थान, 4268-B/3, अंसारी रोड, दरियागंज, नई दिल्ली - 110002 |
वर्ष | 2012 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | ग़ज़ले व नज़्में |
पृष्ठ | |
ISBN | 978-81-88285-55-6 |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
ग़ज़लें
- उतरा है ख़ुदसरी पे वो कच्चा मकान अब / पवन कुमार
- कुछ लतीफों को सुनते सुनाते हुए / पवन कुमार
- हम तुम हैं आधी रात है और माहे-नीम है / पवन कुमार
- सिर्फ ज़रा सी जिद की ख़ातिर अपनी जाँ से गुजर गए / पवन कुमार
- जहां हमेशा समंदर ने मेहरबानी की / पवन कुमार
- वो अक्सर मेरे सब्रो-जब्त को यूँ आजमाते हैं / पवन कुमार
- तुम्हें पाने की धुन इस दिल को यूँ अक्सर सताती है / पवन कुमार
- दिल में कोई खलिश छुपाये हैं / पवन कुमार
- जरा सी चोट को महसूस करके टूट जाते हैं / पवन कुमार
- अजब गुलशन का मंजर हो गया है / पवन कुमार
- सभी को है ये धोका हम पले हैं शादमानी में / पवन कुमार
- कभी तो है कभी गोया नहीं है / पवन कुमार
- कहने को इंसान बहुत हैं / पवन कुमार
- किसकी कहें, हालात से अपने कौन यहाँ बेज़ार नहीं / पवन कुमार
- अब्बा के बाद घर की बदली हुई हवा है / पवन कुमार
- हर इक उम्मीद कल पर टल रही है / पवन कुमार
- मुम्किन है कि लहजे का मजा तुमको भी आ जाए / पवन कुमार
- कोई भी तज़्किरा या गुफ़्तगू हो / पवन कुमार
- यूँ तो हर पल इन्हें भिगोना ठीक नहीं / पवन कुमार
- ज़मीं पर किस कदर पहरे हुए हैं / पवन कुमार
- इश्क में लज्ज़तें मिला देखूँ / पवन कुमार
- कहीं पर ख़ुश्बूएँ बिखरीं, कहीं तरतीब उजालों की / पवन कुमार
- वो कभी गुल कभी ख़ार होते रहे / पवन कुमार
- किस किस तरह से दोस्तो बीती है जिन्दगी / पवन कुमार
- रात दिन अपने घर में रहता है / पवन कुमार
- हर चेहरे की यह तहरीर / पवन कुमार
- तुमसे मिलने की आस बाकी है / पवन कुमार
- सांसों में लोबान जलाना आखि़र क्यों / पवन कुमार
- आख़िर तज़ाद ज़िन्दगी में यूँ भी आ गए / पवन कुमार
- तेरी ख़ातिर ख़ुद को मिटा के देख लिया / पवन कुमार
- मिरी तन्हाई क्यों अपनी नहीं है / पवन कुमार
- गुज़ारी ज़िन्दगी हमने भी अपनी इस करीने से / पवन कुमार
- समन्दर सामने और तिश्नगी है / पवन कुमार
- मैं हूँ मुश्किल में, याद करते ही / पवन कुमार
- चुनी है राह जो काँटो भरी है / पवन कुमार
- ये कसक दिल में रह-रह के उठती रही / पवन कुमार
- ज़िंदगी में इक अजब ठहराव सा है / पवन कुमार
- बेबस थे दिन तो सहमी हुई रात क्या कहें / पवन कुमार
- हसरतें दम तोड़ती है यास की आग़ोश में / पवन कुमार
- ख़ूबसूरत से कुछ गुनाहों में / पवन कुमार
- तेरी नजरों में तो सहरा हुआ है / पवन कुमार
- मंजर भी आज देखिए नादिर हुआ जनाब / पवन कुमार
- यक तरफा फैसला मुझे मंजूर हो गया / पवन कुमार
- मुंतजिर सी रात थी, थक हार के अब सो गई / पवन कुमार
- रेज़ा रेज़ा ख़्वाब हो गये / पवन कुमार
- हमारे शह्र में हर अजनबी, इक हमजबां चाहे / पवन कुमार
- यूँ भी हम अपनी हर इक रात बसर करते हैं / पवन कुमार
- पकती उम्रों को ये एहसास दिलाने होंगे / पवन कुमार
नज़्में
- क्या यही वक्त है घर आने का / पवन कुमार
- फिर भी कितना अनजान हूँ तुमसे / पवन कुमार
- रिश्ते / पवन कुमार
- अब के बरस / पवन कुमार
- कविता, गजल और नज़्म / पवन कुमार
- दरिया / पवन कुमार
- जादू / पवन कुमार
- ईशी के लिए / पवन कुमार
- एक लम्हा / पवन कुमार
- रात / पवन कुमार
- आसमां / पवन कुमार
- अमानत / पवन कुमार
- यादें / पवन कुमार
- नक़्श कितने जुदा हैं / पवन कुमार
- उसे बदलना ही था / पवन कुमार
- अरबी आयतें और ईशी / पवन कुमार
- मसूरी / पवन कुमार
- हाशिया / पवन कुमार
- ख़्वाब / पवन कुमार
- लम्हों की तलाश / पवन कुमार
- तुम्हारी तरह / पवन कुमार
- दर्द कौन समझेगा / पवन कुमार
- तहरीरें / पवन कुमार
- समन्दर / पवन कुमार
- ख़त / पवन कुमार
- वक्त पर / पवन कुमार