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यक तरफा फैसला मुझे मंजूर हो गया / पवन कुमार


यक तरफा फैसला मुझे मंजूर हो गया
मैं उसकी जि’न्दगी से बहुत दूर हो गया

माँ की इनायतें रहीं ताउम्र इसी तरह
मैं तीरगी से जब भी डरा, नूर हो गया

अपने नगर में अपना पता भी नहीं मिला
परदेस में जब आया तो मशहूर हो गया

इज्ज़त-म-आब होने में कीमत बहुत लगी
मैं खेत-गाँव-चक्कियों से दूर हो गया

तीरगी = अंधकार, नूर = प्रकाश/उजाला, इज्ज़त-म-आब = प्रतिष्ठित व चमक-दमक