भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जहां हमेशा समंदर ने मेहरबानी की / पवन कुमार
Kavita Kosh से
जहां हमेशा समंदर ने मेहरबानी की
उसी जमीन पे किल्लत है आज पानी की
उदास रात की चौखट पे मुन्तजिर आँखें
हमारे नाम मुहब्बत ने ये निशानी की
तुम्हारे शह्र में किस तरह जिंदगी गुजरे
यहाँ कमी है तबस्सुम की, शादमानी की
मैं भूल जाऊँ तुम्हें सोच भी नहीं सकता
तुम्हारे साथ जुड़ी है कड़ी कहानी की
उसे बताये बिना उम्र भर रहे उसके
किसी ने ऐसे मुहब्बत की पासबानी की
शादमानी = प्रसन्नता, पासबानी = पहरेदारी