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चुनी है राह जो काँटो भरी है / पवन कुमार
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चुनी है राह जो काँटो भरी है
डरें क्यूँ हम तुम्हारी रहबरी है
हर इक शय में तुझी को सोचता हूँ
तिरे जलवों की सब जादूगरी है
खुला रहता है दरवाजा सभी पर
तुम्हारा दिल है या बारहदरी है
दिखावा किस लिए फिर दोस्ती का
अगर दिल में फकत नफरत भरी है
वही मसरूफ दिन बेकै़फ लम्हे
इसी का नाम शायद नौकरी है
सुना है फिर नया सूरज उगेगा
यही इक रात बस काँटों भरी है
वो कहता है छुड़ाकर हाथ मुझसे
तुम्हारी ज़ीस्त में क्यूं अबतरी है
भटकना भी नहीं बस में हमारे
जिधर देखो तुम्हारी रहबरी है
रहबरी = पथ प्रदर्शक, बारहदरी = ऐसा कमरा जिसमें बहुत से दरवाजे हों, मसरूफ = व्यस्तता
बेकैफ = आनंद रहित, अबतरी = अव्यवस्थित