तुम्हारे घर से
जिस वक़्त
नहीं आने को कहकर
लौट रहा था
उस वक़्त
बरहमेश मिलते रहने का
पक्का भरोसा देख रहा था
आँखों में तुम्हारी ।
तुम्हारे घर से
जिस वक़्त
नहीं आने को कहकर
लौट रहा था
उस वक़्त
बरहमेश मिलते रहने का
पक्का भरोसा देख रहा था
आँखों में तुम्हारी ।