तितली !
इस ख़ूबसूरत शय ने
मुझे छला है कितनी बार
हथेलियाँ मेरी खरोंचों से भर गई हैं तब
और वह उड़कर
दूसरे फूल पर जा बैठी है
तितली !
इस ख़ूबसूरत शय ने
मुझे छला है कितनी बार
हथेलियाँ मेरी खरोंचों से भर गई हैं तब
और वह उड़कर
दूसरे फूल पर जा बैठी है