तुम्हारी ही उगाई हुई
दीवार है यह
जिसकी नींव में तुमने
खून के कतरे बहाये हैं
और यह पूरी दीवार
लहलहाती एक फसल है
तुम्हारे लिए
तुम्हारी इस दीवार में
हजारों आंखें हैं
हाथ हैं
और सीने में धड़कते दिल हैं
दरअसल
तुम इन्हीं आंखें में
धूल झोंकते रहे हो
इन्हीं हाथों से
अपने होने की
फसल काटते रहे हो
और इन्हीं मासूम दिलों के बीच
फासले सींचते रहे हो
क्योंकि इसी में
तुम्हारे होने का मर्म छिपा है
आज भी तुम्हें
दीवार के उस पार
आग और धुआं का अनुमान
इसी दीवार से मिलता है
और तुम
उस पार के खतरों को भांप कर
इसी दीवार पर
आतंक और दहशत की
अपनी रणनीति लिखते हो
उनके प्रति अपनी घृणा
और दर्प के बीज दरअसल
तुम इसी दीवार पर बोते हो
इसीलिए तो यह दीवार
तुम्हारी मनचाही फसलों से पटी है
इस दीवार को
कभी इसने तो कभी उसने
लांघने की कोशिश जरूर की है
लेकिन तुमने उन्हें
इसी दीवार पर चिपका दिया है
जिंदा पोस्टरों की तरह
जिन कमजोर आंखों ने
इन पोस्टरों को देखा है
वे सहम गए हैं
लेकिन तेज बेधती आंखों ने
इन पोस्टरों के
आर-पार भी देखा है
और वे सहमे नहीं हैं
वे इसी दीवार पर
दरअसल
दूसरी तरफ
प्रेम के बीज बो रहे हैं