बरसते तुम
बरसते जैसे
अम्बर से
कभी पानी-
कभी आग
पुलकित धरती का रोम-रोम
हो जाता हरियल कभी
कभी झुलसा देते
सारी की सारी
खड़ी फसल।
बरसते तुम
बरसते जैसे
अम्बर से
कभी पानी-
कभी आग
पुलकित धरती का रोम-रोम
हो जाता हरियल कभी
कभी झुलसा देते
सारी की सारी
खड़ी फसल।