|
जा रही है बेमन से, अनुपम मीठी है चाल
सदाबहार तरुणी है वो, उम्र है सोलह साल
उसकी भूख सहेली है, गृहयुद्ध मित्र-किशोर
जा रही है तेज़ी से वह, दोनों को पीछे छोड़
उसे लुभाए इस देश में सीमित-सी आज़ादी
ज़बर्दस्ती पैदा की गई कमी और बरबादी
वसन्तकाल में चेरी फूले, फूले मौत आज़ाद
चाहे रुकना इसी देश में सदा को यमराज
रचनाकाल : 4 मई 1937