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सूखे होंठों की प्यास / ओसिप मंदेलश्ताम
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| सूखे होंठों की प्यास | |
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| रचनाकार: | ओसिप मंदेलश्ताम | 
| अनुवादक: | अनिल जनविजय | 
| प्रकाशक: | संभावना प्रकाशन, रेवती कुंज, हापुड़ (उत्तर प्रदेश), टेलिफ़ोन -- 9045705350 | 
| वर्ष: | 2019 | 
| मूल भाषा: | रूसी | 
| विषय: | -- | 
| शैली: | -- | 
| पृष्ठ संख्या: | 120 | 
| ISBN: | 81-87302-77-1 | 
| विविध: | (मूल रूसी भाषा से अनूदित) | 
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 इस पन्ने पर दी गयी रचनाओं को विश्व भर के योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गयी प्रकाशक संबंधी जानकारी प्रिंटेड पुस्तक खरीदने में आपकी सहायता के लिये दी गयी है।  | |
- लो, ख़ुश रहो उठाकर तुम, / ओसिप मंदेलश्ताम
 - भटक रही है आग भयानक / ओसिप मंदेलश्ताम
 - सुनता हूँ तुम्हारा उच्चारण भास्वर / ओसिप मंदेलश्ताम
 - कसान्द्रा / ओसिप मंदेलश्ताम
 - ईर्ष्यालु शुष्क-होंठों पर मेरे / ओसिप मंदेलश्ताम
 - मृत्यु-1 / ओसिप मंदेलश्ताम
 - मृत्यु-2 / ओसिप मंदेलश्ताम
 - हाथ पकड़ कर रख नहीं पाया / ओसिप मंदेलश्ताम
 - गुदगुदाती है ठंड हमें और हँसता है अंधेरा / ओसिप मंदेलश्ताम
 - बस्ती के उस पार से तो कभी वनों के पीछे से / ओसिप मंदेलश्ताम
 - मुझे नहीं मालूम, बंधु कब से / ओसिप मंदेलश्ताम
 - छह पंखों वाले भयानक बैल-सा अकड़कर / ओसिप मंदेलश्ताम
 - मैं अपने शहर लौट आया / ओसिप मंदेलश्ताम
 - पहाडों में निष्क्रिय है देव / ओसिप मंदेलश्ताम
 - हर पल मैं देखूँ, मित्रों,बस एक यही सपन / ओसिप मंदेलश्ताम
 - नाशपतियों और बेरियों ने निशाना साधा है मुझ पर / ओसिप मंदेलश्ताम
 - कोड़ों की सख़्त मार से, कन्धे तेरे / ओसिप मंदेलश्ताम
 
	
	