गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
मेरा गाँव / केदारनाथ अग्रवाल
No change in size
,
17:59, 9 जनवरी 2011
"[[मेरा गाँव / केदारनाथ अग्रवाल]]" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))
आकर्षण आने से पहले यौवन ढलता।
रूप अविकसित विवश पराया होकर पलता॥
डाले
डाके
पड़ते हैं कामिनियों के अंगों पर।
कामुक जन निर्लज्ज थिरकते भ्रू-भंगों पर॥
कुल-भूषण कुल-दूषण बनते मान गँवाते।
Dkspoet
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits