Changes

आकर्षण आने से पहले यौवन ढलता।
रूप अविकसित विवश पराया होकर पलता॥
डाले डाके पड़ते हैं कामिनियों के अंगों पर।
कामुक जन निर्लज्ज थिरकते भ्रू-भंगों पर॥
कुल-भूषण कुल-दूषण बनते मान गँवाते।
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits