Changes

निंदा / रघुवीर सहाय

7 bytes added, 19:42, 27 मार्च 2011
{{KKCatKavita‎}}
<poem>
'तुम निंदा के जितने वाक्य निंदा में कहते हो वे निंदा नहीं रह गए हैं और केवल तुम्हारीघबराहट बताते हैं
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits