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काँधे कान्ह कमरिया कारी, लकुट लिए कर घेरै हो / सूरदास
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14:45, 18 अप्रैल 2011
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|रचनाकार=सूरदास
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काँधे कान्ह कमरिया कारी, लकुट लिए कर घेरै हो ।<br>
बृंदाबन मैं गाइ चरावै, धौरी, धूमरि टेरै हो ॥<br>
Pratishtha
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