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तू देश के महके हुए आँचल में पली / जाँ निसार अख़्तर
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20:04, 20 मई 2011
|रचनाकार=जाँ निसार अख़्तर
|संग्रह=घर-आँगन (रुबाइयाँ) / जाँ निसार अख़्तर
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