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तू देश के महके हुए आँचल में पली / जाँ निसार अख़्तर
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तू देश के महके हुए आँचल में पली
हर सोच है ख़ुश्बुओं के साँचे में ढली
हाथों को जोड़ने का ये दिलकश अंदाज़
डाली पे कंवल के जिस तरह बंद कली