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संभ्रम अति उर मैं बढ़्यौ / शृंगार-लतिका / द्विज
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03:44, 28 जून 2011
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दोहा
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(भ्रमरावली के गुंजार से संभ्रम-निवारण का वर्णन)
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संभ्रम अति उर मैं बढ़्यौ, रह्यौ नहीं कछु ग्यान ।
मधुकरीन-मुख ता समै, परयौ सबद यह कान ॥६॥
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Himanshu
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