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02:11, 29 जून 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=द्विज
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{{KKPageNavigation
|पीछे=जानि-जानि आपने ही गेह कौ अराम / शृंगार-लतिका / द्विज
|आगे=चँहकि चकोर उठे, सोर करि भौंर उठे / शृंगार-लतिका / द्विज
|सारणी=शृंगार-लतिका / द्विज/ पृष्ठ 2
}}
<poem>
'''दोहा'''
''(वन-शोभा वर्णन)''
या बिधि की सोभा निरखि, तन-मन गयौ भुलाइ ।
बन मैं यह लीला-ललित, ता चिन प्रगटी आइ ॥१४॥
</poem>