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या बिधि की सोभा निरखि / शृंगार-लतिका / द्विज
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दोहा
(वन-शोभा वर्णन)
या बिधि की सोभा निरखि, तन-मन गयौ भुलाइ ।
बन मैं यह लीला-ललित, ता चिन प्रगटी आइ ॥१४॥