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02:36, 29 जून 2011 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=द्विज
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|पीछे=कहूँ कोक हूँ कोक की कारिका कौं / शृंगार-लतिका / द्विज
|आगे=नहीं नव अंकुर ए सरसात / शृंगार-लतिका / द्विज
|सारणी=शृंगार-लतिका / द्विज/ पृष्ठ 2
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<poem>
'''मौक्तिकदाम'''
''(परिपूर्ण ऋतुराज का प्रकाश रूप से वर्णन)''
कदंब प्रसूनन सौं सरसात । बिलोकि प्रभा पुलके जनु गात ॥
मरंद झरैं चहुँघाँ सब फूल । बहाइकैं आँसु तजैं मनु सूल ॥२१॥
</poem>