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कदंब प्रसूनन सौं सरसात / शृंगार-लतिका / द्विज

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मौक्तिकदाम
(परिपूर्ण ऋतुराज का प्रकाश रूप से वर्णन)

कदंब प्रसूनन सौं सरसात । बिलोकि प्रभा पुलके जनु गात ॥
मरंद झरैं चहुँघाँ सब फूल । बहाइकैं आँसु तजैं मनु सूल ॥२१॥