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दिल तो मिलता है, निगाहें न मिलें भी तो क्या !/ गुलाब खंडेलवाल
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20:27, 1 जुलाई 2011
कह दें आँखों से, न ये होंठ हिले भी तो क्या!
उड़के
खुशबू
ख़ुशबू
तो उन आँखों की मिली है हरदम
हमको नज़रों के इशारे न मिलें भी तो क्या!
उनके दिल में तो बसी तेरी ही रंगत है गुलाब!
फूल लाखों जो बहारों में
खिले
खिलें
भी तो क्या!
<poem>
Vibhajhalani
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