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हरेक सवाल पे कहते हो कि यह दिल क्या है / गुलाब खंडेलवाल
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23:57, 3 जुलाई 2011
रौंद डाली हैं पँखुरियाँ तेरी पाँवों से गुलाब!
उसने देखा भी न झुककर कि
मुकाबिल
मुक़ाबिल
क्या है
<poem>
Vibhajhalani
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