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12:45, 4 जुलाई 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=द्विज
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{{KKPageNavigation
|पीछे=एक-रूप आनंद-मय, श्री राधा-ब्रजचंद / शृंगार-लतिका / द्विज
|आगे=कबहुँक राधा के ललित / शृंगार-लतिका / द्विज
|सारणी=शृंगार-लतिका / द्विज/ पृष्ठ 4
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<poem>
'''दोहा'''
''(श्रीराधा-माधव की एकरूपता का वर्णन)''
कबहुँक आपुस मैं रचैं, बहु-बिधि लौकिक-प्रीति ।
एक-एक सन कहति हैं, सखि ! लखि यह रस-रीति ॥३८॥
</poem>