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मेरा घर-आँगन / भारतेन्दु मिश्र
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03:19, 5 जुलाई 2011
इनमें पानी नहीं
सिर्फ तेज़ाब भरा है
रूप-रंग ये कैसा जीवन
मे
में
उतरा है
आज कँटीले झाड यहाँ अँकुराए हैं ।
डा० जगदीश व्योम
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