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मेरा घर-आँगन / भारतेन्दु मिश्र
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03:21, 5 जुलाई 2011
अब तो सभी
हवा
मे
में
बाते करते हैं
व्याकुल हुए किसान
भूख से मरते हैं
मोबाइल वो लिए हुए मुह बाये हैं ।
</poem>
डा० जगदीश व्योम
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